बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सर्वेक्षण: हालात और नए निर्देश
बिहार के ग्रामीण इलाकों में 20 अगस्त से भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू हो चुका है, लेकिन इस दौरान धीमी प्रगति देखने को मिल रही है। अब तक दस दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है, और ज्यादातर जिलों में काम की गति काफी सुस्त है। इस स्थिति को देखते हुए, राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं और रैयतों (भूमि मालिकों) से जल्द से जल्द स्वघोषणा पत्र वेबसाइट पर अपलोड करने की अपील की है। इसके अलावा, विभाग ने कई जगहों पर शिविर भी लगाए हैं जहाँ लोग अपने कागजात जमा कर सकते हैं और अधिकारी उन्हें वेबसाइट पर अपलोड कर देंगे।
दीपक कुमार ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा केवल सीमित समय के लिए है। अगर रैयत इसका लाभ नहीं उठाते हैं, तो उन्हें भविष्य में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, भूमि मालिकों को इस काम को प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए। विभाग ने सभी जिलों में अंचल कार्यालयों के अंतर्गत शिविर लगाए हैं, और जहां शिविर नहीं लगे हैं, वहां शीघ्र शिविर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। शिविर ऐसे स्थानों पर लगाए जाने चाहिए जहाँ लोग आसानी से पहुँच सकें, और अंचल कार्यालय के आसपास शिविर लगाना बेहतर होगा।
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अब तक 40 हजार से ज्यादा गांवों में सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। दीपक कुमार ने सर्वेक्षण से जुड़े अधिकारियों के साथ हाल की बैठक में बताया कि करीब 43 हजार 138 गांवों में यह काम चल रहा है, जबकि 2611 गांवों में सर्वेक्षण नहीं हुआ है। इनमें शहरी क्षेत्र और कुछ विवादित गांव भी शामिल हैं।
समीक्षा में यह सामने आया है कि भूमि मालिकों की ओर से स्वघोषणा पत्र यानी प्रपत्र 2 भरने का काम बहुत धीमी गति से हो रहा है। उदाहरण के लिए, रोहतास जिले में ही लगभग 10 हजार रैयतों ने स्वघोषणा पत्र अपलोड किया है, जबकि अन्य जिलों में काम की गति काफी धीमी है। अब तक 35 हजार 454 गांवों में ग्राम सभा का आयोजन किया गया है, और बंदोबस्त पदाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि बाकी गांवों में भी अगले एक सप्ताह में ग्राम सभा का आयोजन कर लिया जाएगा।